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Mukhyamantri Yojana
Devatal Chhath

परिजन अपने खर्च पर तेजाब पीड़िता का बनारस के निजी अस्पताल में करा रहे इलाज

Pheta Chhath Shubhakamana
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सविता कुमारी, पटना/  भागलपुर तेजाब पीड़िता बनारस के निजी अस्पताल में जिन्दगी और मौत की जंग लड़ रही है। पीड़िता के इलाज में प्रशासनितक संवेदनहीनता की बात सामने आयी है। परिजन पीड़िता का इलाज अपने खर्च पर बनारस में करवाने को मजबूर हैं। घटना के बाद भागलपुर मेडिकल कॉलेज ने इलाज में असमर्थता जतायी, अस्पताल ने पीएमसीएच रेफर करने के बजाये निजी अस्पताल में इलाज करने को कह दिया। बेटी की जान बचाने के लिए परिजन आनन-फानन में बनारस लेकर चले गये। जबकि तेजाब पीड़िता के इलाज में सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश है कि तेजाब पीड़िता का इलाज सरकारी खर्चे पर सरकारी अस्पताल में ही होना है। यही नहीं तत्कालीन एक लाख रुपये मुआवजे के तौर पीड़िता को देना है।
सरकार की ओर से घोषित मुआवजा के तौर पर दस लाख रुपये देने का प्रावधान है। यही पीड़िता को ताउम्र पेंशन का प्रावधान है। पीड़िता के पिता के अनुसार दो दिन में 60 हजार रुपये से अधिक खर्च हो चुके हैं। प्रशासन से कोई सहायता नहीं मिली है। इस संबंध में भागलपुर के सिविल सर्जन का कहना है कि मेडिकल कॉलेज ने क्यों बनारस रेफर किया है। इसकी जानकारी उन्हें नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि एक लड़की जिसके शरीर का 40 प्रतिशत हिस्सा तेजाब से जला दिया गया है। उस मामले को इतनी संवेदनहीनता क्यों बरती जा रही है। आते-जाते फब्तियां कसते थे अपराधी पीड़िता के पिता ने अपराधियों को मौत की सजा की मांग की है। उनकी बेटी पढ़ने में काफी अच्छी थी।
सायंस में बहुत ही अच्छी थी। सीबीएसई से मैट्रीक पास की थी। इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए हर दिन र्कोंचग जाती थी। आते-जाते लफंगे फब्तियांं कसते थे। उनके अनुसार घर के सामने एक मैदान था, मैदान में आरोपित बैठ कर लड़कियों को छेड़ा करते थे। उनकी बेटी कई बार विरोध की थी। जब नहीं माने तो बातों को अनसुना करके कोचिंग आती-जाती थी। लेकिन उसे क्या पता था कि जिस चेहरे को घंटों आईने में निहारती थी, उसी को बर्बाद कर देंगे। जिस दिन वारदात को अंजाम दिया गया। दुकान के काम से बाहर गये थे। इसका फायदा उठाकर बदमाश घर में घुसे और घटना को अंजाम दिया।
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