फॉरबिसगंज, संवाददाता
केवल शहर की साफ सफाई व्यवस्था पर हीं दो करोड़ से भी अधिक सालाना खर्च करने वाली राज्य भर में चर्चित फारबिसगंज नगर परिषद की नई नगर माता चंदा जायसवाल के सर कांटों भरा ताज सजा है ।
जानकार बताते हैं कि निकट भविष्य में अपने कार्यशैली से नई नवेली नप अध्यक्षा को साबित करना पड़ेगा की वो केवल कुशल गृहिणी हीं नहीं , वरन शहरवासियों के उम्मीदों पर भी खड़ा उतर पाएंगी । कारण फारबिसगंज नप हमेशा से हीं अपनी कारगुजारियों के चलते नगर विकास एवं आवास विभाग बिहार पटना से लेकर उच्च न्यायालय पटना और राज्य चुनाव आयोग तक सुर्खियां बटोरती रही हैं । कई लंबित मामले इस बात की गवाही देते हैं।
बताते हैं कि फारबिसगंज नप में कर्मचारियों के बीच भी इतनी गुटबाजी है की नप अध्यक्षा को न केवल निर्वाचित जन प्रतिनिधियों वरण कर्मियों पर भी अंकुश रखने की चुनौतियों से लेकर शहरवासियों के भी समस्याओं से जूझने की चुनौतियों से प्रतिदिन दो चार होना पड़ेगा । यह बात अलग है कि उनके पक्ष में एक बात जाती है कि उनके पति अनूप कुमार जायसवाल को नप अध्यक्ष पद पर कार्य करने का अनुभव प्राप्त है । जिसका लाभ उन्हें मिल पायेगा, जिससे उनके कार्यक्षमता व कार्यकुशलता को लाभ मिल सकता है ।
एसडीओ फारबिसगंज रविप्रकाश ( भाप्रसे ) के अथक व सक्रिय प्रयास से चर्चित सरयू मिश्र मुख्य बस पड़ाव तो सुभाष चौक पर स्थानांतरित कर लिया गया । मगर आज भी इस मुख्य बस पड़ाव की हालत दयनीय है । वाहन मालिकों से किये गए वायदों से लेकर बुनियादी सुविधाएं तक यहां मय्यसर नहीं हो पाई है । इसके अलावे सीताधार के अस्तित्व व जलनिकास मार्ग को अवरुद्ध कर पक्की संरचना निर्माण मामला हो या शहर भर में बगैर नक्शा पास हुए हीं अवैध निर्माणों का मामला हो या नक्शा पास कराने के नाम पर अवैध उगाही का मकड़जाल या मेनड्रेन की सफाई के नाम पर फर्जी बिल बनाकर राशि के बंदरबांट का मामला ,फैंसी मार्केट व फुलवड़िया हाट की जगजाहिर गंदगी के अंबार आदि जैसे कार्यों पर नप अध्यक्ष को सख्ती से काम कर शहरवासियों का विस्वास एक बार फिर से जीतने की कवायद पूरी तत्परता से करनी होगी । ऐसे अनेक मामले हैं जिन पर नप अधिनियमों के अनुरूप ठोस फैसले ससमय लेने पड़ेंगे । तब जाकर चंदा की चांदनी बढ़ सकेगी । ऐसा न हो की नप अपने निष्क्रिय व नियम विरुद्ध मनमानियों के इतिहास की पुनरावृत्ति व चालू परंपरा की हीं तरह लूट खसोट की संस्कृति के इतिहास को दुहराने में लग जाये और शहरवासी पूर्व की भांति त्राहिमाम करते रहें और चंदा को भी दाग लग जाये । कहते भी हैं कि ‘ फर्स्ट इम्प्रेशन इज द लास्ट इम्प्रेशन ‘ !